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درایــن روزگارِمسـت و لایعــقل، خــــودنـــگــهدار باش!
فـارغ ازســراب و مســتیِ قــدرت، خـــدمتــگزار بـــاش
وقــتی درگــرفــت طـوفــانِ تــزویــرو تنـــدریــزِ ریـــا
یــاد آور آنکــه را تــو جانشیــنـی؟ پس درسـت کاربــاش
چــون بــودی در جمــعِ خـارج نــوازان، سـازِ کــوک بـزن
سبـکبال بگــذر از گــریــوه یِ غیبـت، عیب پوشِ یـار باش
خــون داریــم بـه دل و خندانــیم به لب، زان رو که هستـیم
شاهــدانِ عـسرِ مردمــانِ خـویش، تــو چـون بــهار بــاش
بیـــزاری از خـــیلِ خــوشــگذران را، آذیـــنِ جـــان کــن
امّــا گــذرانِ خــوش را بــه اقــرار، سپاســگـزار بـــاش
بــــرای گـــــذارِ محنـــت داران از گـــــذرگـاهِ رنــــــج
هنــگامِ هـــجومِ امــواجِ انـــــدوه، تـو بـی گـــدار بــاش
بنــگر دراحــوالِ تــــهی افــکاران، خـــود بـــزرگ بیــنان
گـرچــه داده لــــم بــر جــایِ بـــزرگان، تو ســزاوار باش
درشــگفـتم! چــرا ایـن قــــوم زیـــرک ، افــــتاده چنــین
در فتـنه یِ فـایـده ، فــتراقِ قـرعــه، در قـــید کــاربــاش